ज्ञापन के अनुसार, ग्राम नया चौराहा के आदिवासियों की जमीन पर कब्जा करने के उद्देश्य से कुछ दबंगों ने अपने सजातीय बाहुबलियों और गुंडों को बुलाकर आदिवासियों के खेतों में मवेशी छोड़ दिए। इन मवेशियों ने खेतों में लगी मूंगफली और उड़द की फसल को नष्ट कर दिया, और खेतों की बाड़ों को भी तोड़ दिया। जब आदिवासी गौरव ने इस अत्याचार का विरोध किया, तो उसे सिर में लाठियों से पीटा गया और उसे दौड़ा-दौड़ाकर मारा गया। इस घटना में शामिल महिलाओं के साथ भी मारपीट की गई और उन्हें जातिसूचक गालियां दी गईं।
अत्याचार का सिलसिला यहीं नहीं थमा। अगले दिन सुबह, जयंत लोधी, संतोष लोधी, महाराज सिंह लोधी, राहुल, अनिल, वीरसिंह लोधी समेत कई दबंग लोग सैकड़ों की संख्या में वापस आए और सड़क पर बैठे आवारा मवेशियों को हांककर आदिवासियों के खेतों में छोड़ दिया, जिससे उनकी बची-खुची फसल भी बर्बाद हो गई। इस दुखद घटना के दौरान राजस्व और पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति में यह अत्याचार हुआ, लेकिन वे मूक दर्शक बने रहे।
ज्ञापन में सहरिया क्रांति ने इस घटना के कारण गांव के आदिवासियों की आर्थिक स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की। गाँव के आदिवासी, जिनमें गुलशन, बाबू, दिलकूँ, बनमाली, पूरन, अच्छेलाल, जंकीय, चतुरसिंग, लचचू, रामलाल, ख़लक़सिंह, घमंडी, रामसेवक, फूलसिंह, ईश्वर, पन्ना लाल, बंशाराम, गोविंद दास, महेश, घमंडी, गुमान, हरी, रामसिंह, पुलई, ओमप्रकाश, जुराऊ, पीतम, सावरूपी, इमरत, सुखलाल, महरवान, पुशपेंडर, बेजनाथ, कल्याण, पातीराम, कोमल, रामजी, लालन, अशोक, चरण आदिवासी आदि शामिल हैं, अब भुखमरी की स्थिति में पहुँच गए हैं।
ज्ञापन में सहरिया क्रांति ने निम्नलिखित मांगें की हैं -
1. फसल उजाड़ने वाले दबंगों पर कार्यवाही कर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए।
2. राजस्व और पुलिस अधिकारियों पर, जो घटना के दौरान मूकदर्शक बने रहे, कार्यवाही कर उन्हें निलंबित किया जाए और उनके खिलाफ विभागीय जांच बैठाई जाए।
3. पीड़ित आदिवासियों को फसल नुकसान का मुआवजा दिलवाया जाए।
4. महिलाओं के साथ अश्लील इशारे करने वाले दबंगों पर सख्त कार्यवाही की जाए।
5. आदिवासियों पर लगाए गए झूठे मुकदमे वापस लिए जाएं।
6. भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए गांव में सुरक्षा की गारंटी दी जाए।
शिवपुरी जिला ब्यूरो चीफ मोनिस कोड़े के साथ युसूफ खान की रिपोर्ट